शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने केलिए सर्वोच्चो सोच -विचार भी जरुरी है |

जितना बड़ा सोच-विचार उतना बड़ा सफलता | इसीलिए change attitude change your life - आपका सोच-विचार ही आपका जीवन शैली का परिबर्तन ला सकती है | हमारे पूर्व राष्ट्रपति  एपीजे अब्दुल कलाम साहेब हमेसा स्टूडेंट्स को  बोलते थे बड़ा से बड़ा सपना देखो, कारन सपना से विचार उत्पन्न होती है और सही सोच-विचार ,चिंतन-मंथन तथा परिकल्पना से कर्म और कर्म से फल मिलता है | और इसकेलिए चाहिए प्रबल इच्छाशक्ति,दृढ संकल्प के साथ लगन मेहनत,ध्यान-साधना | स्वामी विबेकनान्दजी का भाषा में लक्ष प्राप्ति की और बड़ते रहो जब तक लक्ष प्राप्ति न हो जाये | सिर्फ बड़ा बड़ा सपना देखके सोचते रहने से कुछ नहीं मिलेगा | गोस्वामी तुलसी दासजी रामायण में लिखे हैं --" कर्म प्रधाना विश्वकरी रखा जो जैसा करहिं ओही फल चखा" | दुनिया का आदि प्रथम सर्वश्रेस्ट धर्मग्रन्थ तथा साहित्य वेध- पुराण,रामायण -महाभारत का मूल सार गीता में भगबान श्रीकृष्ण कर्म साधना का ही उपदेश  दिए हैं |    
                      जादा से जादा लोग असफल होने पर अपना ब्येर्थता का समिक्षा करने के बजाय अर्थात अपना कमजोरी को ढूढने के बजाय टेंशन, डिप्रेशन में चले जाते हैं इहाँ तक की आत्महत्या का शिकार तक भी हो जाते हैं | प्राणियो में सर्वश्रेस्ट बुद्धिमान मनुष्य समाज का दूसरा पहलु में कुछ समजदार लोग असफल होने पर कारन तो ढूढते हैं पर सही कारन ढूढने में असफल हो जाते हैं ,कुछ लोग तो दूसरों का षडयंत्र या कारन ठहराते हैं |और लोग बार बार असफल होने पर भी पीछे नहीं हाटते हैं , सही रास्ता निकलकर आगे बड़ते रहते हैं ,गिरने पर भी फिरसे उठकर चलते रहते हैं ,ओही लोग अक दिन सफल होते हैं ,लक्ष प्राप्त तथा सफलता का सर्वोत्तम शिखर तक पोहुँचते हैं | इसीलिए कहते हैं न की --जो लोग गिरते हैं ओही लोग उठने का कोशिस करते हैं और जो लोग गिरने का डरसे कभी प्रयास ही नहीं करेंगे वह लोग न गिरेंगे न उठेंगे |असलमे जानते हैं सफलता के पीछे सफलता छिपा हुआ है |`हमारी असफलता या सफलता का एक बाडा कारन ईमानदारी के साथ सोच-विचार करना है |भावना ,ज्ञान, उत्साह ,दूरदर्शिता ,साहसऔर आत्मविश्वास मिलकर सही सोच तैयार होता है | सोच है छोटासा शब्द है परन्तु इसमें पांच महत्यपूर्ण बातें छिपी हुई हैं |प्रतिस्पर्धा की इस युग में सभी शीर्ष पर जाने की रेस में हैं |इस रेस में जैसे जैसे आप ऊपर चढ़ते जायेंगे लोगों की संख्या भी कम होते जाएगी |जिंदगी का इस कठिन रेस में बहुत कम ही लोग शीर्ष तक पहुँच पाते हैं, इसका कारन ऊंचाई पर टिकने के लिए उच्च सोच-विचार भी होना बहुत जरुरी है |क्योंकि जैसा हम सोचते हैं , वैसे ही हम बन जाते हैं | तो सही बात यह की मेरे मन में मीठा खाने का सोच-विचार कभी आयेगा ही नहीं तो मैं कभी मीठा खा नहीं सकते न मीठा का सवाद जान सकते हैं | अतः अप कुंवा का मेडक बनके मत रहिये, अपने boundari से बहार निकलें ,आप आदि पुरुष परमात्मा परमेश्वर कुर्म-कश्यप का संतान हैं |इसीलिए सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने के लिए सदा सर्वोच्चो सोच-विचार रखना चाहिए | धन्यवाद ! change your attitude,change your life . your weekness is your strongest.  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

GD GYAN DARSHAN AND SERVICES:

GD GYAN DARSHAN AND SERVICES: :