अपनों का चिंता फिकिर सब कोई का होता है |यह स्वभाबिक है , चाहे ब्यातिगत हो चाहे परिबारिक ,सामाजिक,जाति ,भाषा-सांस्कृतिक,आर्थिक,शैक्षणिक इत्यादि का सुख-सुबिधा,सर्वांगीन विकास तथा उत्थान सब कोई चाहता है | और इस सबका संगविधानिक अधिकार तथा होक्दार भी है | हमारे देश में भी बिभिन्न अधिकार को लेकर ब्रिटिश भारत से लेकरके अब तक बिभिन्न समूह,जाति तथा संप्रदाय राजनितिक पार्टी तो और बड़ा इसु लेके आवाज उठाते रहे हैं या उठा रहे हैं और पता नहीं यह सब कब ख़तम होगा | झारखण्ड में भी पिछड़े जाति वर्ग का बड़ी आबादी आरक्षण के हक़दार हैं, को लेकर बड़ी जोर-सौर से घर-घर जाकर आवाज उठा रहे हैं, चिल्ला रहे हैं | यह तो बहुत ही ख़ुशी की बात है और यह तो सही बात है, की झारखण्ड की पिछड़ी जाति वर्ग के बड़ी आबादी सामजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक मोरचे पर पिछड़ा हुआ है | पर आज आजसू पार्टी का चैतन्य हुआ है,जब से झारखण्ड राज्य बना है तब से लेकर आज तक सरकार में योगदान रहा है,पर आज क्यों आरक्षण को लेकर इतना चिंता होरही है की अपना अधिकार तथा हकदारी के लिए घर-घर जाकर ढिंढोरा पीठ रही है जबाब में बोल रही की पहले का सरकार में बड़ी भीड़ था, चिल्लाने से कोन सुनेगा इसीलिए नहीं चिल्लारहे थे | पर अभी एक ही परिवार के दोनों भाई तिन साल से सरकार चलारहे हैं | लेकिन क्या करें छोटा भाई जो सतेला है, बाप्पा भी जोन घर में नहीं हैं और बड़े भाई का बाड़ा परिवार का बाड़ा ही बोलबाला है इसीलिए छोटा भाई का परिवार का एक भी नहीं सुन रहे हैं, इसीलिए घर-घर जाकर अपना हक़ का ढिंढोरा पीठ रहे हैं और उधर केंद्र में भी दादू का का में ताला पड़ गया है | लोगों के सामने चिल्ला-चिल्ला के नाटक करने से कोई फ़ायदा नहीं | अगर सही में अधिकार और हक़ चाहिए तो बाड़ा भाई और दादू को मनाइए न, हमलोग आपके साथ तो है हीं|| हमलोग तो लड़ाई करने का पावर देदिए हैं | लड़के अपना सारे अधिकार,अपना हक़ छीन लीजिये | अगर घर से निकल देगा उसका डर से कुछ नहीं बोलेंगे और हमलोगों का सामने आकार चिल्लायेंगे तो कुछ प्राप्त नहीं होगा | आज बर्तमान में इस सन्दर्भ में हमलोग का देश तथा दुनिया के लोग जातिवादी का भेद-भाव,उंच-नीच,बाड़ा-छोटा,का भावना,घृणा,इर्षा एक-दुसरे के ऊपर प्रकट करके झगड़ते रहते हैं |अरे भाई मत लड़ हम सब एक ही परिवार के संतान-संतति हैं,सब का खून एक ही तो है | क्यों की हम सब पृथिवी-सृष्टिकर्ता, पृथिवीद्रष्टा,प्रिथिवित्राता,परम पिता प्रजापति, पृथिवी पुत्र, कुशल कृषक, मानव जाति का आदि पुरुष,परम पिता कुर्म-कश्यप ही संसार के सभी मानव जाति तथा सारी प्रजाएँ उसी से उत्पन्न हुई है | इसीलिए संसार के सभी मानव जाति उन्ही के वंशज तथा संतान-संतति हैं | इसीलिए संसार की सभी जातियां कुर्म-कश्यप की ही संतति हैं | अपनों का चिंता फिकिर सब कोई का होता है,| यह स्वभाबिक है , चाहे व्येक्तिगत हो चाहे पारिवारिक,सामाजिक, पारम्परिक पेशा-कर्म , भाषा-सांस्कृति, आर्थिक, शैक्षणिक आदि का विकास उत्थान सब कोई चाहता है |यह सब का सांविधानिक अधिकार तथा हक़ भी है | बाड़ा ही गर्व और गौरव की बात है कि हमारे भारतवर्ष के चरों कोना में बड़ी संख्या में कुर्मी कृषक जाति के लोग पाए जाते हैं | उन्होंने अपने कुल तथा आदि पूर्वपुरुष परमपिता कुर्म-कश्यप को नहीं भूले हैं, उनके सारे गुण-कर्म और नाम के साथ अपने नाम के साथ सदा-सर्वदा के लिए अमिट रूप से जुड़े हुए हैं | उन्होंने अपने आपको कुर्मी, कश्यप कुर्म वंशी या कश्यप गोत्री कहती हैं |वैसे तो संसार की सभी जातियां कुर्म-कश्यप की ही संतति हैं, किन्तु उनमे से अधिकांश लोग अपने आदि पुरुष को ही भूल गए हैं |यह कुर्मी जाति प्रजा पलक अन्नदाता हैं | यह अपने पूर्वज कुशल कृषक, प्रजापति, महर्षि कुर्म-कश्यप तथा महान कृषक देवराज इन्द्र की तरह धरती तथा जमीन को सींच कर बिभिन्य प्रकार के खाद्यान्न सृजन तथा उत्पादन कर के समस्त जीवों का भरण-पोषण तथा पालन करते हैं |सब को सामान रूप से देखते हैं ,सब को खेयाल ,सभी को लेकर चलते हैं , ये अपना कर्त्यव्य अतिसरलाता और इमानदार के साथ निभाते हैं | इसीलिए ये प्रजापति, रजा तथा शासक भी कहलाते हैं | तो यहाँ मैं खास करके महान कुर्मी कृषक संतान जातिबादीराजनीति करनेवाले नेतायों से कहना चाहूँगा की ब्रिटिश भारत से स्वाधीन भारत के शुरुयात में सरदार बल्लभ भाई पटेल से लेकर आज के फालतू का चिल्लानेवाले कुर्मी नेता लोग आदिम तथा आदि निवासी कुर्मी कृषक जाति का जन्मजात संबिधानिक अधिकार आज तक नहीं दिलाने सके हैं | और इससे भी बड़ी दू:ख की बात यह है की आदि पुरुष महान कुर्मी कृषक, प्रजापति कुर्म-कश्यप की संतान-संतति, धरती पुत्र , अन्नदाता कुर्मी जाति का राष्ट्रीय जाति का रूप में पहचान नहीं बना पाई है | ये नेता लोग आपना जाति घर परिवार का मान-सम्मान मर्यादा दिलाने नहीं सकते हैं तो क्या फालतू का जतिबादी राजनीति करते हैं | जब की यह कुर्मी जाति बड़ी संख्या में पुरे भारतवर्ष में आदि से लेकर आज तक बहुती महत्यपूर्ण भूमिका निभाते आरही है | जो श्रम की महत्या, स्वाभिमान, उदारता से सभी छाप छोड़ते हैं | ये जान लीजिये की कुर्मी समाज सबको देते ही हैं, लेते कुछ भी नहीं | ये सम्पूर्ण देश में समाज के अन्नदाता हैं|यह प्रकृत्या, कर्मठ, इमानदार, परोपकार करने में उद्यत, सबों के हित चिन्तक आदर्शबादी होते हैं | समाज का सेवा में रत, समाज के निचले इस्तर से लेकर शिखर तक अपनी छाप छोड़ते हैं | फिर भी इस जाति को अपना सांबिधानिक अधिकार से बंचित रखा गया है | अज वर्त्तमान में देश के बिभिन्य जाति के लोग अपना जतिबादी राजनीति कारते हैं, सब अपना अधिकार को लेकर आवाज उठाते रहते हैं | यह स्वभाबिक है | उसी तरह कुर्मी जाति भी देश के बिभिन्य हिस्यों से बिभिन्य समय में अपना अधिकार को लेकर आवाज उठाते रहते हैं| || तो बिभिन्न अधिकारों को लेकर जो माँग है, ये शिलशिला चलता आरहा है और पता नहीं कब तक चलता रहेगा | पर हम सब एक ही आदि पुरुष परम पिता के संतति है, एक ही परिवार के संतान हैं | भाई भाई में ये सब भेद-भाव थोडा बहुत होता ही रहेगा | फिर भी हमारे भारतवर्ष आदि परम पुरुष, आदि गुरु सृष्टि द्रष्टा, परम पिता तथा मुनि- ऋषिओं का देश है | यहाँ बिभिन्य जाति, भाषा-संकृति, खान-पान , बिभिन्य परिधान रहते हुए भी हम सब एक हैं | फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी |इसीलिए तो भारत महान है | कवी गुरु रबिन्द्रनाथ टेगर के भाषा में --- " नाना भाषा नाना मत नाना परिधान विविधेर माझे देख मिलन महान "| नमस्कार ! मेरे यह पोस्ट जरुर पढ़ें और अच्छा लगे तो कोमेंट करना न भूले | धन्यवाद !
सोमवार, 9 अक्टूबर 2017
शनिवार, 7 अक्टूबर 2017
GD GYAN DARSHAN AND SERVICES: सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने केलिए सर्वोच्चो सोच -विचा...
GD GYAN DARSHAN AND SERVICES: सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने केलिए सर्वोच्चो सोच -विचा...: जितना बड़ा सोच-विचार उतना बड़ा सफलता | इसीलिए change attitude change your life - आपका सोच-विचार ही आपका जीवन शैली का परिबर्तन ला सकती है | हम...
सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने केलिए सर्वोच्चो सोच -विचार भी जरुरी है |
जितना बड़ा सोच-विचार उतना बड़ा सफलता | इसीलिए change attitude change your life - आपका सोच-विचार ही आपका जीवन शैली का परिबर्तन ला सकती है | हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहेब हमेसा स्टूडेंट्स को बोलते थे बड़ा से बड़ा सपना देखो, कारन सपना से विचार उत्पन्न होती है और सही सोच-विचार ,चिंतन-मंथन तथा परिकल्पना से कर्म और कर्म से फल मिलता है | और इसकेलिए चाहिए प्रबल इच्छाशक्ति,दृढ संकल्प के साथ लगन मेहनत,ध्यान-साधना | स्वामी विबेकनान्दजी का भाषा में लक्ष प्राप्ति की और बड़ते रहो जब तक लक्ष प्राप्ति न हो जाये | सिर्फ बड़ा बड़ा सपना देखके सोचते रहने से कुछ नहीं मिलेगा | गोस्वामी तुलसी दासजी रामायण में लिखे हैं --" कर्म प्रधाना विश्वकरी रखा जो जैसा करहिं ओही फल चखा" | दुनिया का आदि प्रथम सर्वश्रेस्ट धर्मग्रन्थ तथा साहित्य वेध- पुराण,रामायण -महाभारत का मूल सार गीता में भगबान श्रीकृष्ण कर्म साधना का ही उपदेश दिए हैं |
जादा से जादा लोग असफल होने पर अपना ब्येर्थता का समिक्षा करने के बजाय अर्थात अपना कमजोरी को ढूढने के बजाय टेंशन, डिप्रेशन में चले जाते हैं इहाँ तक की आत्महत्या का शिकार तक भी हो जाते हैं | प्राणियो में सर्वश्रेस्ट बुद्धिमान मनुष्य समाज का दूसरा पहलु में कुछ समजदार लोग असफल होने पर कारन तो ढूढते हैं पर सही कारन ढूढने में असफल हो जाते हैं ,कुछ लोग तो दूसरों का षडयंत्र या कारन ठहराते हैं |और लोग बार बार असफल होने पर भी पीछे नहीं हाटते हैं , सही रास्ता निकलकर आगे बड़ते रहते हैं ,गिरने पर भी फिरसे उठकर चलते रहते हैं ,ओही लोग अक दिन सफल होते हैं ,लक्ष प्राप्त तथा सफलता का सर्वोत्तम शिखर तक पोहुँचते हैं | इसीलिए कहते हैं न की --जो लोग गिरते हैं ओही लोग उठने का कोशिस करते हैं और जो लोग गिरने का डरसे कभी प्रयास ही नहीं करेंगे वह लोग न गिरेंगे न उठेंगे |असलमे जानते हैं सफलता के पीछे सफलता छिपा हुआ है |`हमारी असफलता या सफलता का एक बाडा कारन ईमानदारी के साथ सोच-विचार करना है |भावना ,ज्ञान, उत्साह ,दूरदर्शिता ,साहसऔर आत्मविश्वास मिलकर सही सोच तैयार होता है | सोच है छोटासा शब्द है परन्तु इसमें पांच महत्यपूर्ण बातें छिपी हुई हैं |प्रतिस्पर्धा की इस युग में सभी शीर्ष पर जाने की रेस में हैं |इस रेस में जैसे जैसे आप ऊपर चढ़ते जायेंगे लोगों की संख्या भी कम होते जाएगी |जिंदगी का इस कठिन रेस में बहुत कम ही लोग शीर्ष तक पहुँच पाते हैं, इसका कारन ऊंचाई पर टिकने के लिए उच्च सोच-विचार भी होना बहुत जरुरी है |क्योंकि जैसा हम सोचते हैं , वैसे ही हम बन जाते हैं | तो सही बात यह की मेरे मन में मीठा खाने का सोच-विचार कभी आयेगा ही नहीं तो मैं कभी मीठा खा नहीं सकते न मीठा का सवाद जान सकते हैं | अतः अप कुंवा का मेडक बनके मत रहिये, अपने boundari से बहार निकलें ,आप आदि पुरुष परमात्मा परमेश्वर कुर्म-कश्यप का संतान हैं |इसीलिए सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने के लिए सदा सर्वोच्चो सोच-विचार रखना चाहिए | धन्यवाद ! change your attitude,change your life . your weekness is your strongest.
जादा से जादा लोग असफल होने पर अपना ब्येर्थता का समिक्षा करने के बजाय अर्थात अपना कमजोरी को ढूढने के बजाय टेंशन, डिप्रेशन में चले जाते हैं इहाँ तक की आत्महत्या का शिकार तक भी हो जाते हैं | प्राणियो में सर्वश्रेस्ट बुद्धिमान मनुष्य समाज का दूसरा पहलु में कुछ समजदार लोग असफल होने पर कारन तो ढूढते हैं पर सही कारन ढूढने में असफल हो जाते हैं ,कुछ लोग तो दूसरों का षडयंत्र या कारन ठहराते हैं |और लोग बार बार असफल होने पर भी पीछे नहीं हाटते हैं , सही रास्ता निकलकर आगे बड़ते रहते हैं ,गिरने पर भी फिरसे उठकर चलते रहते हैं ,ओही लोग अक दिन सफल होते हैं ,लक्ष प्राप्त तथा सफलता का सर्वोत्तम शिखर तक पोहुँचते हैं | इसीलिए कहते हैं न की --जो लोग गिरते हैं ओही लोग उठने का कोशिस करते हैं और जो लोग गिरने का डरसे कभी प्रयास ही नहीं करेंगे वह लोग न गिरेंगे न उठेंगे |असलमे जानते हैं सफलता के पीछे सफलता छिपा हुआ है |`हमारी असफलता या सफलता का एक बाडा कारन ईमानदारी के साथ सोच-विचार करना है |भावना ,ज्ञान, उत्साह ,दूरदर्शिता ,साहसऔर आत्मविश्वास मिलकर सही सोच तैयार होता है | सोच है छोटासा शब्द है परन्तु इसमें पांच महत्यपूर्ण बातें छिपी हुई हैं |प्रतिस्पर्धा की इस युग में सभी शीर्ष पर जाने की रेस में हैं |इस रेस में जैसे जैसे आप ऊपर चढ़ते जायेंगे लोगों की संख्या भी कम होते जाएगी |जिंदगी का इस कठिन रेस में बहुत कम ही लोग शीर्ष तक पहुँच पाते हैं, इसका कारन ऊंचाई पर टिकने के लिए उच्च सोच-विचार भी होना बहुत जरुरी है |क्योंकि जैसा हम सोचते हैं , वैसे ही हम बन जाते हैं | तो सही बात यह की मेरे मन में मीठा खाने का सोच-विचार कभी आयेगा ही नहीं तो मैं कभी मीठा खा नहीं सकते न मीठा का सवाद जान सकते हैं | अतः अप कुंवा का मेडक बनके मत रहिये, अपने boundari से बहार निकलें ,आप आदि पुरुष परमात्मा परमेश्वर कुर्म-कश्यप का संतान हैं |इसीलिए सर्वोच्चोशिखर तक पँहुचने के लिए सदा सर्वोच्चो सोच-विचार रखना चाहिए | धन्यवाद ! change your attitude,change your life . your weekness is your strongest.
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